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मंगलवार, 6 सितंबर 2022

'चमड़ी जाए मगर दमड़ी ना जाए' इसी सिद्धांत पर चलकर करोड़पति स्वीपर ने बैंक में रखें 70 लाख रुपए का नहीं किया उपयोग, बीमारी से मौत

'चमड़ी जाए मगर दमड़ी ना जाए' इसी सिद्धांत पर चलकर करोड़पति स्वीपर ने बैंक में रखें 70 लाख रुपए का नहीं किया उपयोग, बीमारी से मौत.



प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के करोड़पति स्वीपर धीरज का निधन हो गया है। स्पीपर घीरज ट्यूबर क्लोसिस (टीबी) से पीड़ित था और इसी बीमारी की वजह से उसकी 4 सितंबर की देर रात निधन हो गया। स्पीपर घीरज के बैंक अकाउंट में 70 लाख रुपये जमा थे। इस खाते से धीरज ने कभी पैसे ही नहीं निकाले, वह प्रयागराज का करोड़पति स्वीपर था। उसने शादी नहीं की थी, धीरज अपनी मां के साथ रहता था। धीरज की मौत के बाद उसकी 80 साल की मां अकेले रह गई हैं, जिनका रो-रोकर बुरा हाल है। प्रयागराज के जिला कुष्ठ रोग विभाग में धीरज स्वीपर कम चौकीदार के पद पर कार्यरत था।

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करोड़पति स्वीपर धीरज उस वक्त चर्चाओं में आया, जब इस साल मई में बैंक के अधिकारी उसके खोजते हुए उसके दफ्तर आए। बैंक अधिकारियों ने खुलासा किया कि उसके बैंक अकाउंट में 70 लाख रुपये हैं। धीरज ने 10 सालों से अपने बैंक से अपनी सैलरी नहीं निकाली थी, इसलिए बैंक वाले उसके बारे में पूछताछ करने ऑफिस पहुंचे थे। इसके बाद अस्पताल और विभागीय के लोग धीरज को ''करोड़पति स्वीपर'' कहकर बुलाने लगे थे। धीरज के बैंक खाते में लाखों रुपये थे, लेकिन फिर भी उसने अपनी टीबी जैसी गंभीर बीमारी का इलाज नहीं करवाया था।


इसके पिता ने भी यही किया था..

धीरज को पिता की मौत के बाद मृतक आश्रित के तौर पर ये नौकरी मिली थी। असल में धीरज के पिता सुरेश चंद्र भी इसी जिला कुष्ठ रोग विभाग में स्वीपर के पद पर कार्यरत थे। नौकरी में रहते ही उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद मृतक आश्रित के तौर पर धीरज को अपने पिता की नौकरी मिल गई। दिसंबर, 2012 से धीरज इस पद पर तैनात था। धीरज ने यह संपत्ति अपने पिता और खुद की मेहनत से कमाई थी। असल में धीरज के पिता ने भी कभी सैलरी नहीं निकाली थी। उसी तरह धीरज का भी हाल था। इसलिए ये पैसे साल-दर-साल बढ़ते चले गए।

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सैलरी नहीं निकाली, मांग कर चलाया घर..

धीरज के पिता भी अपनी नौकरी में कभी भी सैलरी नहीं निकाली, वह घर चलाने के लिए लोगों से पैसे मांगते थे। ठीक उनकी ही तरह धीरज ने भी नौकरी ज्वाइन करने के बाद एक बार भी सैलरी नहीं निकाली और सड़क पर चलते लोगों, विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों से पैसे मांगकर घर चलाया था। लोग उसे गरीब समझकर पैसे दे भी देते थे।


सबसे हैरानी की बात ये है कि धीरज ने अपने इलाज पर पैसे खर्च नहीं किए लेकिन वह ईमानदारी से सरकार को इनकम टैक्स देता था। धीरज के साथ काम करने वाले लोग और दफ्तर के अधिकारियों का कहना है कि वह अपना काम बहुत ईमानदारी से करता था। किसी भी दिन वो दफ्तर लेट नहीं आता था, टाइम से ड्यूटी पर आता और जाता था।


धीरज के साथ काम करने वाले रोशन सरोज ने एक अखबार से बात करते हुए कहा, ''धीरज ईमानदार था। ऑफिस आते वक्त या जाते वक्त जब वह रास्ते में लोगों से मिलता था, तो उनसे पैसे मांगता था, बोलता था भाई पैसे दे दो...नहीं है। वह पता नहीं क्यों बैंक से पैसे नहीं निकालत था। जब बैंक अधिकारी आए थे तो हमने उन्हें बताया था कि वह लोगों से पैसे मांग कर गुजारा करता है।''


धीरज के साथ काम करने वाली शशि कला ने कहा, ''धीरज का व्यवहार बहुत ही अच्छा था। हमें कुछ दिनों पहले ही पता चला था कि वह 70 लाख रुपये का मालिक है। लेकिन वो अपने खाते से पैसे नहीं निकलता है।''बैंक के अधिकारियों ने कई बार धीरज से गुजारिश की कि वह बैंक खाते से पैसे निकाले और लेन-देन करे। पैसे क्यों नहीं निकालता था, इस सवाल के जवाब में धीरज ने बैंक अधिकारियों को कहा था, ''मुझे पैसों की कोई जरूरत ही नहीं है। जब जरूरत नहीं है तो मैं क्यों बैंक से पैसे निकालूं।'' 


धीरज ने शादी नहीं की थी और नाही उसका कोई खास शौक था। धीरज अपनी मां के साथ टीबी सप्रू अस्पताल कैंपस में रहता था। शादी की जैसे ही कोई उससे बात करता था, तो वह गुस्सा होकर भाग जाता था, उसे डर था कि कोई उसके पैसे ना निकाल ले। कुष्ठ रोग विभाग के स्टाफ निखिल खत्री ने एक अखबार को बताया, ''धीरज दिमाग से थोड़ा कमजोर था। लेकिन काम में कोई कमी नहीं थी। वह कभी भी दफ्तर से छुट्टी भी नहीं लेता था।'' वहीं एक अन्य कर्मचारी राजमणि यादव ने कहा, धीरज ने शादी नहीं की थी। उसके कोई शौक भी नहीं थे।


धीरज को एक बार बैंक अधिकारियों ने भिखारी समझ लिया था। कर्मचारी राजमणि यादव ने कहा, ''धीरज कुछ साल पहले बैंक गया था। बैंक अधिकारी को जब उसने अपना अकाउंट नंबर बताया, तो उसको देखकर लगा कि कोई भिखारी कहीं से आ गया है लेकिन जब उसने बैंक खाता चेक किया तो उसके होश उड़ गए। धीरज के बैंक में 70 लाख से अधिक रुपये थे।''


अब धीरज की मौत के बाद सबके दिमाग में एक ही सवाल है कि आखिर इतनी मोटी रकम का अब क्या होगा। धीरज के सहकर्मी कह रहे हैं इतने रुपये होने से धीरज की मां और बहन को भी खतरा है। ऐसे कानून रूप से धीरज का सारा पैसा उसकी मां का होता है। हालांकि धीरज के सहकर्मी अब उसकी और बहन को लेकर चिंतित हैं।

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