PrimoPost - Latest News Articles Information India

Latest Information Articles Culture Politics Daily News Government Global Activities Covid-19 Guidlines

Breaking

शुक्रवार, 27 जून 2025

अविश्वास का पटाक्षेप: 47 का दावा... 2 की हाज़िरी! कौन किसे बेवकूफ बना रहा था?

अविश्वास का पटाक्षेप: 47 का दावा... 2 की हाज़िरी! कौन किसे बेवकूफ बना रहा था? जहां राजनीति बोली.. 'मैं पहले ही कह चुका था!'



तो आखिरकार वही हुआ जो होना था, और जो Primo Post ने दो सप्ताह पहले अपनी कलम से साफ-साफ कह दिया था। अविश्वास प्रस्ताव गिर गया।और गिरा भी ऐसा कि उसमें उठने की भी गुंजाइश नहीं रही। आज सुबह 10 बजे से 11 बजे तक आयोजित हुई अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की बैठक। 60 में से निर्वाचित पार्षदों की जो अनिवार्य उपस्थिति होनी थी उसमें उपस्थित हुए केवल दो। बाकी? कहीं नहीं।



जिन 47 पार्षदों के नाम पर राजनीति की पूरी लकीर खींची जा रही थी, वो खुद लकीर के बाहर नजर आए।और इस अनुपस्थिति के साथ ही अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ़ एक काग़ज़ रह गया। वो काग़ज़ जो सत्ता के सामने फड़फड़ाया भी नहीं।


क्या यह अचानक हुआ? बिल्कुल नहीं।

Primo Post ने पहले ही संकेत दे दिया था कि बाड़ेबंदी में भरोसे की दीवारें दरक रही हैं' और 'बाड़ेबंदी एक जुआ है, आर या पार!' लेकिन जिनके पास पार्षदों की गिनती थी, उनके पास समर्पण की मानसिकता नहीं थी। सत्ता पक्ष के पार्षद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ से मिले, और उस बैठक के बाद ही सब कुछ तय हो गया था। लेकिन विपक्ष शायद तब भी गिनती में उलझा हुआ था गणित में नहीं, ग़लतफहमी में।


सभापति ने निकाला विजय जुलूस और लोकतंत्र ने देखा कि चुप रहकर भी जीत हासिल की जा सकती है। जब पूरा विपक्ष आरोपों और आक्रोश में शब्द खर्च कर रहा था, तब सत्ता पक्ष चुपचाप शब्दों की थकान देख रहा था। और आज, उसी मौन की जीत हुई। क्योंकि उपस्थिति साबित करने की ज़रूरत नहीं पड़ी,



अनुपस्थिति ही पर्याप्त हो गई।सभापति, जिन पर तमाम आरोप थे, जिनके खिलाफ बगावत की हवा बनाई गई थी, आज उसी हवा को चीरते हुए विजय जुलूस में शामिल हुईं मुस्कुराती हुईं, नाचती हुईं।राजनीति में समय सबसे बड़ा रणनीतिकार होता है। जिन्होंने अविश्वास की नींव रखी थी, शायद उन्हें खुद अपने दल का विश्वास नहीं रहा।कुछ सत्ता से डरे, कुछ दुविधा में पड़े,



और कुछ ऐसे थे जो विरोध सिर्फ़ इसलिए कर रहे थे कि उन्हें विरोध करना आता था।Primo Post के पिछले कॉलमों में जो अनुमान थे वे आज परिणाम बनकर सामने आए।



राजनीति में भविष्यवाणी नहीं, फ़ील्ड विज़न काम आता है। 

जिसे विपक्ष सत्ता की पराजय समझ रहा था, वो भाजपा के लिए मात्र एक गणना थी कि किसे कब चुप कराना है, और किसे कब बोलने देना है।अविश्वास प्रस्ताव गिरा, लेकिन इसके साथ यह भी साफ हो गया कि राजनीति में संख्या नहीं, समय और संकल्प ज़्यादा निर्णायक होते हैं।


Primo Post जहाँ खबरें भविष्य बताने नहीं, भविष्य साबित करने के लिए लिखी जाती हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें