डीएनए रिपोर्ट के बाद नाबालिग बेटी से दुष्कर्म का आरोपी पिता बरी. डेढ़ साल जेल काटी. मेड़ता पोक्सो कोर्ट का फैसला. जानिए किसने और क्यों रची यह साजिश?
नागौर. मेड़ता के विशेष पोक्सो कोर्ट ने बुधवार को दिए अपने एक फैसले में नाबालिग बेटी से दुष्कर्म का आरोपी एक पिता को बड़ी राहत दी है। डेढ़ साल तक जेल में रहने के बाद दोषमुक्त हुआ है। डीएनए और मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हो पाई। स्पेशल पोक्सो कोर्ट न्यायाधीश रतनलाल मूंड ने दोनों पक्षों के बयान सुनने के बाद यह फैसला सुनाया।
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आरोपी पिता की पैरवी करने वाले अधिवक्ता कैलाश नारायण दाधीच ने बताया कि आरोपी की पत्नी ने 26 दिसंबर 2020 को मारोठ थाने में एक लिखित रिपोर्ट पेश कर बताया कि 25 दिसंबर 2020 को मेरी 12 साल की बेटी के साथ मेरे ही पति ने दुष्कर्म किया। जिस पर पुलिस ने 27 दिसंबर 2020 को बेटी से बलात्कार के आरोपी पिता को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भिजवा दिया था।
यह मामला मारोठ थाना क्षेत्र के एक गांव का है। पुलिस ने नाबालिग का मेडिकल मुआयना करवाकर उनके कपड़े डीएनए टेस्ट के लिए सरकारी लैब में भेजे थे। गत 5 मई 2022 को न्यायालय में डीएनए रिपोर्ट पेश हुई। मेडिकल और डीएनए रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि ही नहीं हुई।
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इस मामले में सामने आया है कि पति-पत्नी में संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। नाराज हुई पत्नी इस हद तक पहुंच गई कि उसने अपने भाई के साथ मिलकर पति पर बेटी से बलात्कार करने का मुकदमा दर्ज करा दिया। आरोपी गरीब होने से उसके पास वकील को देने के लिए फीस भी नहीं थी, जिस पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मेड़ता सिटी की ओर से आरोपी की निशुल्क पैरवी करने के लिए एडवोकेट कैलाश नारायण दाधीच को नियुक्त किया गया था।
वली मोहम्मद, गुलाम मुस्तफा, बर्तन बाजार खाई गली नागौर। बर्तनोंं का सबसेेे विश्वसनीय शोरूम। मोहम्मद जावेद गोरी - 9413367860इस संबंध में अधिवक्ता दाधीच ने बताया कि 13 जुलाई 2022 को नाबालिग पीड़िता के पोक्सो कोर्ट में बयान दर्ज हुए। पीड़िता ने अपने पिता पर लगे आरोपों से साफ इनकार कर दिया। अपने बयानों में यह बताया कि मेरे पिता ने मेरे साथ कोई गलत काम नहीं किया। यह मुकदमा मैंने मेरी मम्मी और मामा के कहने से किया है। 30 जुलाई 2022 को आरोपी की पत्नी के बयान भी न्यायालय में दर्ज किए गए। पत्नी ने बयानों में कहा कि पुत्री से पूछकर रिपोर्ट नहीं लिखी थी।
कोर्ट में अनुसंधान अधिकारी सहित कुल 6 गवाहों के बयान कलमबद्ध किए गए। अनुसंधान अधिकारी ने बयानों में स्वीकार किया कि रिपोर्ट लिखाने पीड़िता साथ नहीं आई थी तथा मौखिक साक्ष्य के अलावा चिकित्सीय या विशेषज्ञ की रिपोर्ट ऐसी नहीं है और यह स्वीकार किया कि पीड़िता के शरीर पर कोई दृश्यमान चोटें नहीं देखी। जिससे यह माना जा सके कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म हुआ हो। कोर्ट के फैसले से जाहिर होता है कि निर्दोष होते हुए पिता ने डेढ़ साल तक जेल काटी।







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