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सोमवार, 26 सितंबर 2022

सीएम गहलोत ने तो खेल दिया अपना कार्ड, अब सचिन पायलट के दांव की बारी! कांग्रेस आलाकमान के लिए इधर कुआं उधर खाई?

सीएम गहलोत ने तो खेल दिया अपना कार्ड, अब सचिन पायलट के दांव की बारी! कांग्रेस आलाकमान के लिए इधर कुआं उधर खाई?



जयपुर। नाटकीय घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रुख ने हाईकमान को भी चौंका दिया है। संकट सुलझने की बजाय उलझता ही जा रहा है। अब जो राजनीतिक चक्रव्यू बना है उस से निकलना गहलोत और पायलट दोनों के लिए नामुमकिन है। वही आलाकमान के लिए स्थिति यह हो गई है कि इधर कुआं है तो उधर खाई है। दिल्ली से जयपुर आए कांग्रेस पर्यवेक्षकों अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़के साथ सीएम गहलोत और विधायकों के बीच बातचीत में सहमति नहीं बनी। आलाकमान के आदेश पर आज सुबह दोनों दिल्ली लौट गए हैं।

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गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायकों ने अपने इस्तीफे रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को सौंप दिए। राज्य विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने रविवार देर कहा कि हमने इस्तीफे दे दिए हैं और आगे क्या करना है इसका फैसला अब विधानसभा अध्यक्ष करेंगे। इससे पहले राज्य के आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने मीडियाकर्मियों से कहा कि हम अभी अपना इस्तीफा देकर आए हैं।

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कांग्रेस के मुख्य सचेतक जोशी ने कहा कि हमने अपनी बात आलाकमान तक पहुंचा दी है। उम्मीद करते हैं कि आने वाले जो फैसले होंगे उनमें उन बातों का ध्यान रखा जाएगा। विधायक चाहते हैं कि जो कांग्रेस अध्यक्ष और आलाकमान के प्रति निष्ठावान रहे हैं उनका पार्टी पूरा ध्यान रखे। राजधानी जयपुर में यह सारा घटनाक्रम कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने की संभावनाओं के बीच हुआ। इस स्थिति से मुख्यमंत्री और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष गहराने का संकेत मिल रहा है। गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे, इसलिए उनका उत्तराधिकारी चुने जाने की चर्चा है।

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महेश जोशी ने कहा कि अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर हर विधायक का भरोसा है। हमने अपनी बात रखी है और उम्मीद है कि आलाकमान द्वारा अंतिम निर्णय लेने पर हमारी मांगों पर विचार किया जाएगा। हम चाहते हैं कि पार्टी उन लोगों का ख्याल रखे जो कांग्रेस के प्रति वफादार रहे हैं।


अजय माकन के साथ बातचीत के लिए प्रताप सिंह खाचरियावास, शांति धारीवाल, महेश जोशी, संयम लोढ़ा का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा था, लेकिन सहमति नहीं बनी। विधायकों ने 19 अक्तूबर तक पार्टी की सभी बैठकों के बहिष्कार का एलान किया। विधायकों के प्रतिनिधिमंडल ने अजय माकन के सामने तीन मांगें रखी थीं-


1. 102 विधायकों में से ही चुना जाए मुख्यमंत्री

2.  सचिन पायलट कबूल नहीं

3.  मुख्यमंत्री का चेहरा गहलोत तय करें


वहीं, अजय माकन ने कहा कि हम एक ही एजेंडा लेकर आए है, हमने जो तय कर लिया वो फाइनल है। विधायकों ने स्पष्ट किया कि 19 अक्तूबर तक कोई बैठक नहीं होगी और कोई बातचीत नहीं होगी। 19 अक्तूबर के बाद सभी विधायकों की दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से मुलाकात करने की योजना।


इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उस होटल में गए थे जहां दिल्ली से आए पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे तथा अजय माकन रुके थे। वहां इन नेताओं के बीच लंबी बैठक हुई। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी मुख्यमंत्री निवास पहुंचे। कुछ और विधायक भी विधायक दल की प्रस्तावित बैठक में भाग लेने पहुंचे लेकिन यह बैठक अंतत: नहीं हुई।


राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 108 विधायक हैं। पार्टी को 13 निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन प्राप्त है। गहलोत के वफादार माने जाने वाले कुछ विधायकों ने परोक्ष रूप से पायलट का हवाला देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का उत्तराधिकारी कोई ऐसा होना चाहिए, जिन्होंने 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, न कि कोई ऐसा जो इसे गिराने के प्रयास में शामिल था।


तो क्या पायलट गिरा सकते हैं गहलोत सरकार?

अब संभावना यह है बन रही है कि गहलोत के दबाव में आलाकमान सचिन पायलट को दरकिनार कर सकता है। ऐसी स्थिति में पायलट के लिए स्थिति विकट हो जाएगी या तो अपने समर्थकों सहित विधानसभा से इस्तीफा देकर सरकार गिरा दे या फिर चुपचाप आगामी चुनाव का इंतजार करें..

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